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गरीब आखिर गरीब क्यो

साहित्य दर्पण
साहित्य दर्पण
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गरीब आखिर गरीब क्यो है?इसके पीछे वजय क्या है?मैने गम्भीरता से सोचा तो यह निर्णय निकला शायद आप भी वही सोचे जो में सोच रही हूँ।एक मजदूर दिन भर कङी मेहनत करके150 रूपये कमाता हे ।थक हार के चूर हो जाता है,अपनी थकान वो सिर्फ शराब से ही उतारना चाहता हे।हर गली नुक्कङ पर दुकान देशी वदेशी हर किस्म की शुविधा का ख्याल रखते हे।जो भी व्यक्ति आये निराश होकर यानिक वापिस न लोटे।कमाई बीच में ही चट हो जाति हे।घर पर पत्नी बच्चे राह तकते हे कि कब घर आयेगे ।मोसमी फळो का समय भी गुजर जाता हे पर बच्चे रख भी नहि पाते हे।दूध तो पिये वर्षो की बात हो जाति हे।जब शराब से फुरसत मिले तो घर परिवार के वारे में सोचे।हालत ऐसी होती हे जो घर मालिक को नसे में लिप्त से फुरसत मिलती नहीं हे जो घर के वारे में सोच सकें।कभी कभी नोवत यहाँ तक आ जाति हे कि घर में खाने को अन्न का एक दाना तक नहि होता।पर अपनी लत के कारण घर में झगङे होने लगते हे घर के सामान को बेच बेच अपनी लत को बरकरार रखते हे।कमाई का तो कोई निश्चय नहि हे 10दिन कमाया तो कभी कभी 15 दिन तक काम नहीं मिलता हे पर अपनी लत का आधी कर्ज लेके बीता हे या इससे भी गिरि हरकत करने से भी नहि हिचकिचाता हे। पत्नी बच्चो पर हावी रहता हे जिसके कारण अपनी पत्नी को जिस्म के वाजार में झोक देता हे अपनी मर्जी नहि होती तो सूद खोर की नजर का शिकार होना पङता हे।सर्व शिक्षा अभियान का कङवा सच यह हे कि आज भी कही बच्चे स्कूल का मुख आज भी नहि देख पाते।चाहे मुफ्त खाना मिले चाये मुफ्त कपङे ही क्यो न मिले पर इनकी सोच पर कोई फर्क नहीं पङता। सोच सीमित हो जाति हे क्योकि शराब से सोच सुन्न कर देती हे वो गरीव व्यक्ति कभी आगे सोच ही नहि पाता और दिन व दिन गरीव के काले बादलो में कही खो जाता हे।सरकार चाहे मुफ्त अन्न भोजन दे पर कुछ नहि हो सकता। क्योकि गरीबी का निवारण जब तक जड से खत्म नहि किया जायेगा तब तक गरीवी दूर नहि हो शक्ति।गम्भीरता से सोचो एक मजदूर 150 रूपये कमाता हे अगर दोनो मिलकर कमाये तो 300रूपये होते हे।300रूपये में 100रूपये खर्च करके बच्चो को उनकी आवश्यकताओ की पूर्ती कर सकते हे।दूध या फल का सेवन करके कमजोरी को भी दूर कर सकते हे।सोचने की सकती बङेगी बच्चो को  शिक्षा के उजाले में भेज कर भविष्य को उज्ज्वल कर सकते हे।रूपये को बचा कर भविष्य को मुसीबत में सुरक्षित कर सकते हे। सोचो सोच बदलो देश बदलेगा। शराब की बिमारी को जङ से मिटाना हे।कहावत हे न रहेगा बाँस न बजेगी बासुरी।इसलिए शराब को जङ से मिटाना हे तभी गरीबी दूर होगी तब कोई गरीब नहीं होगा।।।सोच बदलो देश बदलेगा।

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