- 64 Posts
- 33 Comments
बुंलद थी आवाज,होशलो की उङान! थर थर काँपते थे, अग्रेजो के सिघासन।। थका नहीं था रूका नहीं था,मा आजाद करने चला था! बुझते दीपको में ऊर्जा का संचार भरा था।। नेताजी की दहाङ से , हिल गई बुनियादे थी! शीष पर था ,नेता जी का परचम।। आजाद हिन्द का गठन कर, विश्व को बतलाया था! लक्ष्मी बाई का एहसास,हर नारी में करवाया था।। स्वप्न नहीं सच से,अवगत करवाया था! विश्व रूपक पद चिन्ह ,जन जन को आज भी स्मरण करवाया ।ठहराब का जल नहीं, बहते जल की धारा! एक छत्र विश्व रूपक,संगठन का पाठ सिखाया था।। मा से बङा कोई नहीं, कर्तव्य सिखलाया था! शीष कटे तो कट जायें, मा का अस्तित्व ही शान हे।। वंदे मातरम !वंदे मातरम! वंदे मातरम!!
Read Comments