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श्रृजन तेरी वंदना

साहित्य दर्पण
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खो रहा हिम्मत क्यो?पिघलते आसुओ में बह रहा क्यो??       श्रृजन तेरी बंदना,स्वाभिमान तेरा आधार,!                            अग्रेजो के सामने कभी श्वास तोङी नहीं,अब क्यो परिवार को छोडकर,धरा की गोद में सो रहे???                                 खो रहा हिम्मत क्यो? पिघलते आसुओ में बह रहा?                साक्षर हे तू सोच फिर फैसला कर,नीतियो को बदलना है!      तरक्की को रोकना नहीं,नेताओ की कठपुतली छोङ,,             स्वंम विचार कर,ये कब किसके संगे, कमजोरी को तार बनाना आता है……बुझा के चूला तेरा………………                अपनी रोटी सेकना आता है………¡¡                                     खो रहा हिम्मत क्यो………………………………………           कुदरत के आगे किसकी चले,बस हमें झुकना आता है!!         खुद पर हिम्मत रख ,अपने वल से फिर से खेत लहरायेगे!!    हक हे मुआबजा तेरा,आंदोलन से सरकारे झुका देगे!!          श्वास नहीं छोङेगे  हिम्मत नहीं तोङेगे!!                                 बदलेगे नीतिया तरक्की नहीं रोकेगे…………………………    खो रहा हिम्मत क्यों……………………………………              चिन्तन मनन कर तू,बच्चो का भविष्य उज्ज्वल हो!                क्या चाहता हे तू………………………………………………      कर्ज की तपन में बच्चे भी तपे, तरक्की से नये               रास्ते खुलेगे !!नई तकनीकी से विस्तार वढेगे!!                      छोटे छोटे खेतो में भी,उन्नति के आकाश छुयेगे!!                  पिछङे हुऐ को विकास के, नये नये रास्ते खुलेगे!!                  खो रहा हिम्मत क्यो……………………”नीतिया हितकर हो,रोजगार से युक्त हो!भटकाव से मुक्त हो,छलावा न हो किसान के साथ,शब्दो का जाल न हो,लिखित का पूर्ण भाव हो………………………………………………………………………अब हिम्मत न खोना है,अधिकार को पहचान देना है!! मुश्किलो से हारना नहीं,स्वाभिमान को वापिस लाना है………,अपने अधिकारो को पाना है,आत्मदाह नहीं संर्षस से मुकाबला है,किसान से देश की पहचान है!!………………”जय किसान जय जवान “उदघोष को जन जन पहुँचाना हैं!!………………………………

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