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“बच्चों की अभिलाषा”

साहित्य दर्पण
साहित्य दर्पण
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मेरें भी पंख लगा दो,

में भी तितली बन जाऊँ!!

फूल फूल पर जाकर,

में भी सुंदर बन जाऊँ!!

पंछी के संग उङ कर,

आकाश में उङ जाऊँ!!

झिलमिल तारों के पास,

चंदा मामा के पास जाऊँ!!

डगर डगर पात पात,,

उछल कूद कर आऊँ!!

खेत खलियान जाकर,

नये मित्र बना आऊँ!!

मेरे भी पंख लगा दो,

में भी फुर फुर उङ जाऊँ!!

जहाज इतराता हे इतना,

उसको पीछे छोङ आऊँ!!

मुढेर पर आकर मैं,

कागा संग गीत गाऊँ!!

ताजा 2 फलों का पावन,

मै भी रस चख  जाऊँ!!

मेरे भी पंख लगा दो!!

मोर के पास जाकर,

में भी नाँच दिखाऊँ!!

तोता के संग रहकर,

में भी मिट्ठू बन जाऊँ!!

मेरे भी पंख लगा दो,

में भी सुंदर बन जाऊँ!!

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