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“मसखरी”

साहित्य दर्पण
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मसखरी वाह! खूब करते,

दबे शोलो का नाम देते !!

हर रंग में ढली मसखरी,

गुफ्तगू में हाल बयाँ करते!!

तीर लगा निशाने पर तो,

खुद को राजा समझते!!

वक्त का तकागा देखकर,

मसखरी खूब नाम देते!!

जीजा साली की हिठखोली,

मसखरी ने खूब चर्चे बटोरी!!

देवर भाभी के खूब किस्से,

हर जुबाँ पर चढ कर बोले!!

मसखरी का सहारा लेकर,

हृदय हाल बयाँ करते!!

नेताओ का काळा चिट्ठा,

मसखरी से वाह2 करते!!

मसखरी तेरे कितने दिवाने,

दुनिया में उतने हे फसाने!!

छुपे हुए कितने राज खूब,

पेपर्दा राज खूब करते!!

मसखरी तुम न होती,

अरमान ज्वालामुखी होते!!

जो बात बात पर करते,

खुशमिजाज साफ दिल होते!!

शान्त स्वभाव, एकान्त चित,

हृदय में दफन  किस्से होते!!

हरएक की दास्ता खूब रंग

मसखरी जिंदगी जीना सिखाये!!

समखरी वाह! खूब करते,

दबे शोलो का नाम देते!!

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