Menu
blogid : 19918 postid : 1011708

शीखो सीख देते हैं सब

साहित्य दर्पण
साहित्य दर्पण
  • 64 Posts
  • 33 Comments

शीखो सीख देते हैं सब,
जहाँ के नजारे कुछ कहते हैं!!
क्यों जीते हैं खुद के वास्तें,
जहाँ के नजारे कुछ कहते हैं!!
सुंदर मुखङा हैं मेरा ,
सुन्दर आँखे हैं मेरी!!
अदभुद सुन्दर हैं जहाँ,
आयना तुझ बिन क्या देखँ!!
सीखो सीख देती हैं आँखे,
खुद का मुखङा न देखे!
जहाँ का सुखङा दुखङा सब देखे!!
कल कल बहती हैं सरिता ,
थपेङे कंकङ पत्थर चोट सहे!
खुद को क्या मिलता है?
माणस जीव जन्तु का वरदान बने!!
शीखो सीख देती हैं सरिता,
जल विन जीवन हे कैसा?
जल में सबका आधार समाया!!
वन्सपति जीवनमय हे सबका,
छाल पात जड फल हे आदि!
मानव श्रजृति जंग हे समाया!!
जीवन कल्याण जग का बना,
शीखो सीख देते हे वन!
आक्सीजन विन कैसे जीना,?
समीर में सबका आधार समाया!!
ज्योति ऐसे जलती जाति है,
जग रोशनमय हे तब तब!
दीपक तले हे जग तम मय!!
रोशन हुआ हे सारा जग मग ,
शीखो सीख देती हे ज्योति!
निशा का तममय होता कैसे दूर?
रोशन में सबका आधार समाया!
सूरमाओ ने सर्वद्ध न्योछाबर किया,
तब तक हम हे सुरक्षित सब!
सोचले खुद के लिए हे जीना है?
तो कैसे चलेगा संसार मय!
शीखो सीख देते हे सूरमाओ,
मिली हे ये काया तन मन!
जियो संसार के सब बास्ते !!
शीखो सीख देते हे सब,
जहाँ के नजारे कुछ कहते हैं!!
क्यो जीते हे खुद के वास्ते,
जहाँ के नजारे कुछ कहते हैं!!

Read Comments

    Post a comment