Menu
blogid : 19918 postid : 1093269

बेटो ने रोधा

साहित्य दर्पण
साहित्य दर्पण
  • 64 Posts
  • 33 Comments

धरती को वेटो ने रोधा,
मा बाप को खूब रूलाया!!
गली गली घूमने धटकने ,
को मजबूर खूब कराया!!
मा ने लहू देके पाला,
पिता ने फर्ज निभाया!!
खुद भूखे रहकर देखो,
भोजन का फर्ज निभाया!!
धूप बारिस तपन सहकर,
आँचल में लाल को सुलाया!!
पिता ने सर्दी गर्मी को सहकर,
लाल को खूब हे पढाया!!
बन गया वेटा कलक्टर,
मिठाईयों को वँटवाया!!
घरवार गाँव को छोङा,
शहर में ही घर बसाया!!
युवावस्था में वेटो ने,
खूब मा बाप को रूलाया!!
मा बाप अडचन लगें,
खेत खलियान को भुलाया!!
भूल गया वेटा जन्मदाता को,
मित्रो के संग विवाह रंचाया!!
बरस से बरस गुजर गयें,
मा बाप को तिनका समझा!!
मा बाप को लाल की तङफ,
गाँव से शहर ले आई!!
ख्आब को सजाके आयें,
किया वेटो ने दुखदाई!!
अधिकारी के सामने,
नोकर ही बना डाला!!
ख्आब टूटा बिखरे मोती,
मा बाप को पराया बना डाला!!
बहु ने सास ससुर न समझा,
घर का काम खूब करबाया!!
मुफ्त में दास ही समझा,
बिमारी में घर से दूर करवाया!!
अरमानो को टूटते देख ,
गाँव वापिस लोट आयें!!
घर खलियान छूटा है,
जिन्दा मौत ही पायें!!
अपनी ही गलती की हमेने,
कुदरत से यही सजा पाई!!
वेटे की तमन्ना ने हमनें,
वेटी को कोख में ही जान गवाई!!
जैसा बौहा हमने जो है
आज सूद समेत बापिस पाई!!
जो था बुढापा का सहारा,
वही मौत का सबब बन गया!!
मा बाप की आखरी आरजू,
अग्नि भी देने न आया !!
पित्र अमावस्या का दिन आया,
घर पकवान खूब बनवाया!!
जीते जी न खिलाया था,
बाद भोग खूब लगवाया!!
दिखावे में आसू बहायें,
सबने मिलके खाना खाया!!
कैसी अजब रीति बनाई,
चटकारे लेकर खाना खाया!!
धरती ने आँसू बहाये है,
बेटी को खोने का यही!!
मा बाप मूल्य हे चुकाये,
वेटो ने दिया हे जख्म!!

Read Comments

    Post a comment