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वक्त की धाराओ में चलों

साहित्य दर्पण
साहित्य दर्पण
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वक्त की धाराओ में चलो,
चलों अपनी भी नाव चलायें!!
फल का मोह छोङ दें,
डूवेगी या पार लगेगी!!
माँझी शा हुनर लिए,
धाराओ में बढते जायें!!
मुश्किल आसान नहीं,
संकल्प से बढा साहस नहीं,
वक्त की धाराओ में चलों,
चलों अपनी भी नाव चलायें!!
गिर से निकलती धारा ,
पथ आसान नहीं हैं!
सर्घष चुनौती से भरा,
गिरती उछलती खाती गोते!
रौद्ध रूप कभी निर्मल धारा!!
अपना भी पथ ऐसा होगा,
साहस के वल पर पार होना!!
कंकरीला पथरीला पथ,
मोडो का अद्भुत सफर!!
वक्त की धाराओ में चलो,
चलो अपनी भी नाव चलायें!!
ठहरार नहीं बस चलते जाना,
विपताओ को पार कर बढते जाना!!
कितने मानव जीवो का वरदान,
तृष्णा पूरा किया अहम योगदान!!
अंत में मिली सागर से ,
किया सफर अनमोल वरदान!!
हमको अपने पथ चलना,
करना हैं समाज कल्याण!!
वक्त की धाराओ में चलो,
चलो अपनी भी नाव चलायें!!

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