Menu
blogid : 19918 postid : 1101098

क़ुर्बानी के नाम पर पाखण्ड

साहित्य दर्पण
साहित्य दर्पण
  • 64 Posts
  • 33 Comments

ये कैसा धर्म के नाम पर निर्दोष जानवरो की वली या क़ुर्बानी दी जाती है?जिस ईश्वर ने हमें बनाया है उसको हम भिन्न नाम से पुकारते लेकिन भाव एक ही है । हमारा प्रश्न यह है जिसने संसार की रंचना की है जीव जन्तु,पेड़ पौधे, इनसे सबसे अनमोल रंचना मानव बनाया है जिसने अपने दिमांग से संसार की कल्पनाओ को साक्षातकार करवाया है ।आज हम चाँद पर बसने जा रहे है मंगलग्रह पर जीवन के प्रमाण को साकार कर रहे है।अपने देश को चारो दिशाओ से सुरक्षित करने के लिए परमाणु का विकसित किया है और हम यह भूल गये है कि अपने जीव की सतुष्टी के लिए निर्दोष की वली और क़ुर्बानी का नाम देते है क्यो? जिसने सबकुछ बनाया है वो क्यो अपने ही अंग को काटकर ख़ुश होगा… सोचो हम अपने पिता की संताने है जो 5 भाई बहिन है । क्या कभी भी पिता चायेगे कि तुम दूसरे पुत्र या पुत्री की हत्या कर दो हम ख़ुश हो जायेगे। नहीं बल्कि दुख होगा पिता यही चायेगे कि हमारे बच्चे आपस में मिलजुल के रहें। हम अपने स्वार्थ के लिए आपस में कलेश करते है..अगर प्रभु बलि क़ुर्बानी से प्रश्न्न हो जाये तो जो जानवर एक दूसरे पर आश्रित हो उनपर प्रभु सदेव ख़ुश रहे ….पर नहीं अगर ऐसा होता तो हर कोई प्रभु को पाने के लिए एक दूसरे के खून के प्यासे हो जाये सब बलि ही देने लगे। अगर बलि देना ही है तो खुद की दो रावण की तरह जिसने पाने की ऐसी हठ ठान ली थी जिसने स्वय के शीर्ष को सम्मपित कर दिया । अगर प्रभु को पाना ही चाहते हो तो सच में उसके बनाये संसार की सेवा करना सब जीव जन्तु की सेवा करना ।प्यासे को पानी भूखे को भोजन असाय का सहारा बनो …. धर्म के नाम पर आडम्बर पाखण्ड का त्याग करें । इस बकरीईद पर क्यो क़ुर्बानी का नाम देकर बकरो की हत्या करे अगर क़ुरान पड़ा होता तो सही अर्थो में क़ुर्बानी का अर्थ समझते अपने प्रिय पुत्र की क़ुर्बानी दी थी तुम सब की जो भी प्रिय वस्तु हो उसका त्याग करो तो यही होगी सच्ची कुर्बानी…….

Read Comments

    Post a comment